महंगा क्रूड, ट्रेड वॉर, खरीफ की एमएसपी और वित्तीय घाटे की चिंता से आरबीआई डर गया है और इसका असर दिखा आज क्रेडिट पॉलिसी पर। जहां सेंट्रल बैंक ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को एक चौथाई परसेंट बढ़ा दिया। यानि कर्ज महंगा होना तय है। लेकिन कितना महंगा होगा, और बाजार आरबीआई के इस कदम को कैसे देख रहा है।
रिजर्व बैंक को महंगाई की चिंता सताने लगी है। इसी चिंता में उसने लगातार दूसरी बार दरों में बढ़ोतरी की है। आरबीआई ने रेपो रेट 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। रिवर्स रेपो रेट में भी 0.25 फीसदी की बढ़त हुई है और अब ये 6.25 फीसदी हो गई है।
आरबीआई के मुताबिक अप्रैल-सितंबर में जीडीपी ग्रोथ 7.5-7.6 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि इस कारोबारी साल के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है। रिजर्व बैंक ने जुलाई-सितंबर के बीच महंगाई दर 4.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जबकि अक्टूबर-मार्च के बीच ये बढ़कर 4.75 फीसदी हो सकती है।
दरअसल आरबीआई की चिंता महंगाई को लेकर है। आरबीआई गवर्नर ऊर्जित पटेल ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में उठापटक, मॉनसून की चाल, ट्रेड वॉर जैसे विदेशी हालात और खरीफ की बढ़ी हुई एमएसपी आगे चलकर महंगाई पर असर डाल सकती है।
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